पेशलफ़्ज़ – फैज़ अहमद ‘फैज़’
इस मुख़्तसर मज्मुए में कैफ़ी आज़मी ने गुज़श्ता पच्चीस बरस का मुन्तख़ब2 कलाम शामिल किया है यानी एक तरह से यह उनका सिल्वर जुबली एडिशन है l पढ़नेवालों को शायद सबसे बड़ी तो इस मज्मुए के इख्तिसार3 से शिकायत होगी…
इस मुख़्तसर मज्मुए में कैफ़ी आज़मी ने गुज़श्ता पच्चीस बरस का मुन्तख़ब2 कलाम शामिल किया है यानी एक तरह से यह उनका सिल्वर जुबली एडिशन है l पढ़नेवालों को शायद सबसे बड़ी तो इस मज्मुए के इख्तिसार3 से शिकायत होगी…
Listen to Sajjad Zaheer here जदीद1 उर्दू शायरी के बाग़ में एक नया फूल खिला है, एक सुर्ख़2 फूल l कैफ़ी आज़मी से मेरी वाक़िफ़ियत3 एक साल से भी कम की है, उनसे मुलाक़ात को अभी छह महीने भी नहीं…
कैफ़ी आज़मी मेरे समकालीन थे. उसी तरह जैसे उम्र के फ़र्क के बावजूद वह अपने सीनियर शायर जोश मलीहाबादी, रघुपति सहाय फ़िराक़ और जिगर मुरादाबादी के समकालीन थे. वह इन बुज़ुर्गों के ज़माने के नौजवान शायर थे. सन् 35-36 में…
Lyrics – Kaifi Azmi Music Video Directed by – Baba Azmi Music and Voice – Roop Kumar Rathod