माना हो तुम, बेहद हंसीं
ऐसे बुरे, हम भी नहीं
देखो कभी तो, प्यार से
डरते हो क्यूँ, इक़रार से
खुलता नहीं, कुछ दिलरुबा
तुम हमसे खुश हो, या हो खफ़ा
तिरछी नज़र, तीखी अदा
लगते हो क्यूँ, बेज़ार से
देखो कभी तो, प्यार से …
तुम दो कदम, दो साथ अगर
आसान हो जाये सफ़र
छोड़ो भी ये, दुनिया का डर
तोड़ो न दिल यूँ, इनकार से
देखो कभी तो, प्यार से …